Wednesday 11 May 2016

दृष्टीबाधितों हेतु स्वरोजगार कार्यशाला


मित्रों, गत सप्ताह  कुछ कर गुजरने की चाहत लिये विभिन्न राज्यों के हमारे दृष्टिबाधित साथियों ने वाइस फॉर ब्लाइंड द्वारा आयोजित स्वरोजगार कार्यशाला में आत्मनिर्भता की और एक कदम बढाते हुए जलेसर उत्तर प्रदेश में उपस्थित हुए। वाइस फॉर ब्लाइंड के वालिंटर अंचल अग्रवाल इस आयोजन के सहयोगी पार्टनर थे जिनके सहयोग से आर्दश इंटर कॉलेज में सात दिन तक प्रवास की व्यवस्था की गई थी। इस कार्यशाला में 1मई से 7मई 2016 तक गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तथा उत्तर प्रदेश के दृष्टीबाधित साथियों ने शिरकत की। सबसे पहले दिन सभी बच्चों को ताजमहल का दिदार कराया गया। जिसे उन्होने छुकर महसूस किया। 


कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य थाः-  स्वरोजगार के द्वारा आत्मनिर्भर बनना
मित्रों, जिसतरह आज पढने के बाद भी नौकरी मिलना एक बहुत बङी समस्या बनी हुई है, ऐसे में आत्मनिर्भरता हेतु हमें कुछ अलग विकल्प तलाश करना चाहिये। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैने सोचा कि क्यों न हम अपने साथियों को स्वरोगार के लिये प्रोत्साहित करें। इस कार्यशाला में ये समझाया गया कि दृष्टीबाधिता के बावजूद कौन सा कार्य किया जा सकता है तथा किस तरह उसे सफल बनाया जा सकता है। सबसे पहले तो आप सभी साथियों को ये बताना चाहेंगे कि आज विज्ञान की नई टेक्नोलॉजी इन लोगों के लिये वरदान है और कम्प्युटर इनकी आँखें हैं। जिसमें कुछ सॉफ्टवेयर जैसे कि जॉज 13,14 और 16 कम्प्युटर पर कार्य करना आसान बना देते हैं। इसी को आधार बनाकर कुछ ऑनलाइन बिजनस के बारे में मैने समझाया, जैसे किः- ऑनलाइन अनुवादक का कार्य, स्क्रिप्ट राइटिंग तथा प्रचार लिखने का काम। जिसकी आवाज अच्छी हो वो ऑनलाइन डबिंग का काम भी कर सकता है। इसके लिये कई वेब साइट हैं जहाँ रजिस्ट्रेशन कराकर कार्य किया जा सकता है। इसके अलावा अपनी वैज्ञानिक आँखों के सहारे टूर एण्ड ट्रैवल तथा साइबर कैफे का बिजनस भी किया जा सकता है। ऑनलाइन शॉपिंग का भी चलन बहुत ज्यादा चल रहा है इस हेतु अपनी वेबसाइट बनाकर एक शॉप रजिस्टर की जा सकती है। 


ऐसे ही और भी बहुत से काम ऑनलाइन के माध्यम से किये जा सकते हैं। इसके अलावा ऑफलाइन भी बहुत से काम किये जा सकते हैं वैसे ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि ये बच्चे लगभग सभी बिजनस कर सकते हैं। यहाँ ट्रेनिंग के दौरान उन्हे पंतजली के 12 प्रोडक्ट को बेचने की ट्रेनिग दिये थे हम जो बहुत सफल रहा। इसके अलावा गुजरात के लोग वहाँ से खाने का समान तथा उनकी संस्था द्वारा बनाये गये समान जैसे कि- ऑफिस फाइल, अगरबत्ति तथा कैंडिल लेकर आये थे। जिसको बेचने की ट्रेनिंग इस कार्यशाला में दी गई। अंचल की तरफ से प्लास्टिक के समान तथा कोल्ड ड्रिंक बेचने की ट्रनिंग दी गई। इसी दौरान एक 2 मई को अच्छी खबर वेबसाइट के गोपाल मिश्रा का भी लेक्चर था। उन्होने पर्सनालटी डेवलपमेंट तथा इंटरव्यु के कौशल को निखारने हेतु कुछ सुझाव दिये।

कार्यशाला के आखिरी दिन एक मेले का आयोजन किया गया। जहाँ सभी प्रतिभागियों ने अपनी-अपनी दुकान लगाई और जलेसर की जनता को उसमें ग्राहक के तौरपर आमंत्रित किया गया। हमारे सभी दृष्टीबाधित साथियों ने सफलता पूर्वक दुकानदारी की जिसे देखकर वहाँ की सभी जनता आर्श्यचकित थी क्योंकि समान बेचने से लेकर रुपये का लेन देन तक इन साथियों ने स्वतः ही किया। कुछ दुकान पर हमारे कार्यकर्ता सिर्फ ये वॉच करने के लिये थे कि कहीं कोई समान कुछ असमाजिक तत्व चोरी न कर लें। इंदैर के कुछ बच्चों ने तो इंदौरी पोहे की दुकान लगाई जिसमें उनके साथ एक लोविजन साथी था। पोहे की दुकान पर जबरदस्त बिक्री हुई। गुजरात के सभी आइटम भी बिक गये थे। कुछ लोगों ने टॉफी की दुकान लगाई थी। कोल्डड्रिंक तथा टॉफी की दुकान पर भी जबरदस्त रिस्पॉस मिला। यहाँ सभी बच्चों ने पहलीबार ये कार्य किया था जिसमें वे उम्मीद से कहीं ज्यादा उत्साह पूर्वक कार्यकरते हुए सफल रहे। 


सात दिन के बीच में एक दिन पर्यावरण को प्रोत्साहन देने हेतु वृक्षारोपण का कार्यक्रम भी रखा गया था, जिसमें सभी बच्चों ने बहुत उत्साह के साथ पौधारोपण किया। 



मुझे ये कहते हुए अत्यधिक प्रसन्नता हो रही है कि, स्वरोजगार हेतु  पहला कदम सफल रहा। बच्चों के उत्साह ने ये सिद्ध कर दिया कि आँधियों को जिद्द है जहाँ बिजली गिराने की वहीं जिद्द है हमें अपना आशियाँ बनाने की। 

धन्यवाद
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