Wednesday 11 March 2015

सहयोग की भावना मानवता की प्रतीक है


दोस्तों, वर्तमान युग नई तकनिकों का युग है और हम सब आधुनिक सोच के साथ आगे बढ रहे हैं। हमारी सामाजिकता ने भी आधुनिकता अपना ली है। फेसबुक तथा वाट्सअप को अपनाते हुए हम सब व्यस्त जिंदगी में भी समाज के करीब हैं और एक दूसरे की सहयाता भी इन नये तरिकों से करने लगे हैं। कहने का तात्पर्य ये है कि हम कितने भी आधुनिक हो जायें फिर भी हम समाज और उसके सहयोग की अहमियत को समझते हैं क्योंकि समाज से परे एकांकी रहकर तो व्यक्तिगत जीवन का भी विकास संभव नही है। धरती पर जीवन की बनावट ही कुछ ऐसी है कि मनुष्य अपने आप में सिमट कर नही रह सकता। विकास की यात्रा हो या जिवन यापन की जरूरतें सब के सहयोग से ही पूर्ण होती है। गौतम बुद्ध, महावीर, ईसा तथा विवेकानंद जी की शिक्षाओं का ही परिणाम है कि, समस्त देश मानव समाज के विकास हेतु एक मंच पर सहयोग की भावना का आगाज कर रहे हैं। हमारा सामाजिक ढांचा सात सुरों का संगम है, जहाँ कुछ सुर मध्यम तथा कुछ सुर ऊँचे लगते हैं परंतु जब सब सुर मिल जाते हैं तो एक मधुर संगीत गूँजता है। उसी तरह समाज में सबल-निबर्ल, सक्षम-अक्षम, ज्ञानी-अज्ञानी इत्यादी सभी तरह के लोग विद्यमान हैं। कहने का आशय है कि कोई भी सर्वगुणं सम्पन्न नही होता परंतु सहयोग की भावना से व्यक्ति खास हो जाता है। जिस तरह आम के पेङ की शीतल छाया तथा मधुर फल, किसान के सहयोग का ही परिणाम है क्योंकि किसान द्वारा उचित समय पर खाद एवं पानी देने से आम का वृक्ष अन्य लोगों के लिए परोपकारी बन जाता है। सहयोग का ये क्रम एक चेन की तरह है तथा निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। ईश्वर ने सबको समान नही बनाया है। प्रकृति का भी स्वरूप भिन्नताओं से भरा हुआ है फिर भी संसार का विकास सभी के सहयोग से गतिमान है। उसी तरह  समाज भी भिन्नताओं से भरा हुआ है, जहाँ   ऐसे भी लोग हैं जिनको समाज के सकारात्मक सहयोग की आवशयकता थोङी अधिक होती है। मित्रों, हमारा देश हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर रहते हुए आगे का मार्ग भी प्रशस्त कर रहा है। हम सब भी अपने सहयोग की भावना को इस तरह प्रकाशित करें कि जिससे दृष्टीबाधित लोगों का जीवन आत्मसम्मान से रौशन हो जाये और भारत स्वदेशी सहयोग के धन से परिपूर्ण हो जाए। हमारी भारतीय संस्कृति का जीवन दर्शन भी यही है कि, सबका हित, सबका सुख, सबका लाभ। दूसरों की सहयाता करने का गुणं अर्थात सहयोग की भावना मानवता की प्रतीक होती है। 
धन्यवाद

दृष्टीबाधितों की सहायता कैसे कर सकते हैं






2 comments:

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