Monday 11 March 2013

वाणी की चतुरता


एक बार की बात है कि, तारकपुर नगर के राजा ने एक बुढे मरणासन्न हाथी को गाँव में भेजा और साथ ही ये संदेश भिजवा दिया कि इस हाथी का समाचार प्रतिदिन मुझे मिलना चाहिये। यदि कोई भी ग्रामवासी आकर ये समाचार कहेगा कि हाथी मर गया तो उसे मृत्यु दण्ड दिया जायेगा।

तत्पश्चात राजा की आज्ञा सुनकर सभी ग्रामवासी भयभीत हो गये। सभी गाँववासी भय के कारण उस हाथी की खूब अच्छी तरह से देखभाल करने लगे। मृत्यु दण्ड का भय उन्हे हर पल सताता था। ये परम सत्य है कि कोई भी अमर नही है। सभी प्राणी जगत की मृत्यु निश्चित है। हाथी के साथ भी वही हुआ वो काफी बुढा हो चुका था, गाँव वालों की लाख सेवा सुश्रषा के बावजूद हाथी मर गया।

गॉव वाले मृत्यु के भय से परेशान हो रहे थे। सभी इस बात को लेकर सोच-विचार करने लगे कि राजा को खबर कौन करेगा। तभी एक समझदार एव तेज बुद्धी वाला युवक उठा और बोला, आप लोग परेशान न होइये मैं जाऊंगा। गाँव के बजुर्ग कहने लगे नही नही हम तुम्हे कैसे जाने दे। तुम तो अपने माँ-बाप के बुढापे का इकलौता सहारा हो। यदि तुमको कुछ हो गया तो तुम्हारे माँ-बाप का कौन ध्यान रखेगा।

युवक ने कहा, आप सब डरिये मत। मैं स्वंय ही जाकर राजा को ये समाचार बताऊँगा और वो राजमहल में राजा को समाचार देने चला गया।

राजा के पास जाकर बङे ही शिष्ट आचरण के साथ बोला, हे महाराज! आज हाथी न बैठता है, न उठता है, न खाना खा रहा है, न पानी पी रहा है और तो और साँस भी न ले रहा है एवं न साँस छोङ रहा है। और क्या बताँऊ महाराज, वह जीवित पशु के समान आचरण नही कर रहा है। यह सुनकर राजा ने पूछा कि, क्या वह हाथी मर गया ?”  वह युवक बोला, महाराज! आप ही ऐसा कह रहे हैं, हम नही। राजा उसकी वाकचातुर्य को समझ गये और उसकी बुद्धीमानता से खुश होकर उसे बहुत सा पुरस्कार दिये।

मित्रों, कहानी का आशय है कि विपरीत परिस्थिति में भी यदि हम संयम से काम लें और निडर होकर मुसिबत का सामना करें तो यकीनन परेशानियों पर विजय प्राप्त कर सम्मान के अधिकारी बन सकते हैं।

ज्ञान के विकास के साथ संयम के पथ पर चलने से सफलता शीध्र एवं निश्चय ही मिलती है।

1 comment:

  1. Vaani ki Chaturta Arthat Madhur Vaani, Bahut achchha lekh avm nek Sallah, विपरीत परिस्थिति में भी यदि हम संयम से काम लें और निडर होकर मुसिबत का सामना करें तो यकीनन परेशानियों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

    “ज्ञान के विकास के साथ संयम के पथ पर चलने से सफलता शीध्र एवं निश्चय ही मिलती है।“
    Brij Bhushan Gupta, New Delhi, 9810360393, 8287882178

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